विधेयक के खिलाफ राजभवन पहुंचे विधायक, कहा प्रतियोगी युवाओँ के आवाज को दबाने की है कोशिश

विधेयक से पहले विधायक पहुंच गये राजभवन। दरअसल गुरूवार को झारखंड विधानसभा से झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय)विधेयक ,2023 पारित हो गया। इसके विरोध में बीजेपी विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर इसकी समीक्षा की मांग की है।

विधेयक के खिलाफ राजभवन पहुंचे विधायक, कहा प्रतियोगी युवाओँ के आवाज को दबाने की है कोशिश

रांची

झारखंड विधानसभा से पारित झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय)विधेयक ,2023 का मामला शुक्रवार को राजभवन पहुंचा। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिला। इस दौरान पार्टी विधायकों ने इस विधेयक के समीक्षा की मांग की है। राज्यपाल को दिये ज्ञापन में बीजेपी विधायकों ने कहा है कि 
भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है। परंतु उपर्युक्त विधेयक के द्वारा राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग,झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसी संस्थाओं में प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन कराना चाहती है।
यह आशंका तब और प्रबल हो जाती है जब विगत दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित कनीय अभियंता परीक्षा में घोर धांधली उजागर हुई।ज्ञातव्य है कि प्रथम दृष्टया राज्य सरकार ने इस अनियमितता को सिरे से नकारा परंतु युवाओं ,अभ्यर्थियों के व्यापक विरोध एवम परीक्षा में हुई धांधली के पर्याप्त सबूत उजागर होने का ही परिणाम हुआ कि राज्य सरकार ने धांधली को स्वीकारा ।
महोदय, यदि यह विरोध नही हुआ होता तो राज्य सरकार अनियमित बहाली करने में सफल हो जाती। विरोध का ही परिणाम हुआ कि जेएसएससी को कनीय अभियंता की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।
भाजपा का मानना है कि राज्य सरकार अपनी इस प्रकार की त्रुटियों,धांधली ,विफलताओं और सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को दबाने केलिए उपर्युक्त विधेयक को पारित कराया है।

एकतरफा कार्रवाई का है प्रावधान

बीजेपी विधायकों का कहना है कि इस विधेयक से प्रतीत होता है कि व्यक्ति के आजादी का उल्लंघन है। उदाहरण के तौर पर विधेयक की कंडिका 11 (2) में राज्य सरकार संबंधित परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों,उत्तर पत्रकों के संबंध में सवाल खड़ा करने वाले परीक्षार्थियों ,प्रिंट,इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध बिना किसी प्रारंभिक जांच किए प्राथमिकी दर्ज कराने तथा कंडिका 23 (1) क एवम ख में ऐसे लोगों को बिना किसी वरीय पदाधिकारी के अनुमोदन के गिरफ्तार करने का प्रावधान किया है। इसके अतिरिक्त ऐसी विसंगतियों पर भविष्य में भी कोई परीक्षार्थी आवाज नही उठा सके इसके लिए विधेयक के कंडिका 13(1)में वैसे परीक्षार्थियों को 2से 10 साल तक केलिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया है। बेरोजगार युवाओं के खिलाफ राज्य सरकार की हिटलर शाही तब और उजागर हो जाती है जब सरकार ने इस विधेयक की कंडिका 2(7)में परीक्षा संपन्न कराने वाले कर्मियों,परीक्षकों, पर्यवेक्षक और उनके रिश्तेदारों,मित्रों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज नहीं कराने का प्रावधान किया है।