संथाली साहित्यकार व आंदोलनकारी स्व. बैजनाथ सोरेन के नाम पर जारी हुआ माई स्टैम्प

जमशेदपुर मे संथाली भाषा के आंदोलनकारी रहे स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के याद मे संथाली राइटर्स एसोसिएशन ने स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के नाम पर माई स्टैम्प एवं फर्स्ट डे कवर जारी किया।

संथाली साहित्यकार व आंदोलनकारी स्व. बैजनाथ सोरेन के नाम पर जारी हुआ माई स्टैम्प

जमशेदपुर

जमशेदपुर मे संथाली भाषा के आंदोलनकारी रहे स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के याद मे परिजन एवं संथाली राइटर्स एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के नाम पर माई स्टैम्प डाक टिकट एवं फर्स्ट डे कवर जारी किया। इस मौके पर सांसद विद्युत वरन महतो मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित रहे। स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन ने अपने जीवन काल मे संथाली भाषा को राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने हेतु कई आंदोलन भी किये और इसके फलस्वरूप संथाली भाषा को आठवी अनुसूची मे शामिल भी किया गया। उनकी कोशिशों की वजह से ही कई दूसरे देशों मे भी संथाली भाषा को उचित स्थान दिया गया। ऐसे महान शख्शियत को सम्मान देने हेतु संथाली राइटर्स एसोसिएशन ने डाक टिकट एवं कवर को जारी किये। इस मौके पर स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के परिवार के कई सदस्य समेत संथाली राइटर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर डाक टिकट का विमोचन किया। अवसर पर सांसद विद्युत वरन महतो ने कहा की स्वर्गीय बैजनाथ सोरेन के संघर्ष को सम्मान देने हेतु डाक टिकट का विमोचन किया गया, ऐसे महान शख्शियत से हमें प्रेरणा मिलती हैं। 

1991 में अंतर्राष्ट्रीय संथाली सम्मेलन

स्वर्गीय बैजनाथ मुर्मू झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे और संथाली भाषा व साहित्य को उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभायी थी। उनके प्रयासों से ही 1991 में जमशेदपुर में अंतर्राष्ट्रीय संथाली भाषा और साहित्य सम्मलेन का आयोजन किया गया था, जिसमें बिहार, बंगाल, ओड़िसा के साथ साथ बांग्लादेश और नेपाल के संथाल भी शामिल हुए थे। 

1998 में संथाली के लिए आंदोलन

1998 में संथाली भाषा मोर्चा का पुनर्गठन कर 25 दिनों तक रथयात्रा निकाली गयी, जिसमें संथाली भाषा को आठवीं अनुसूचि में शामिल करने के लिए आंदोलन चलाया गया।