दिवंगत पूर्व सांसद सोम मरांडी के परिवार को नहीं मिल रही पेंशन, तंगहाली के दौर से गुजर रहा परिवार

राजमहल लोकसभा क्षेत्र के भूतपूर्व भाजपा सांसद दिवंगत सोम मरांडी का परिवार घोर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।

दिवंगत पूर्व सांसद सोम मरांडी के परिवार को नहीं मिल रही पेंशन, तंगहाली के दौर से गुजर रहा परिवार


पाकुड़, झारखंड

इस आलीशान घर को देखकर कोई सोंच नहीं सकता कि यहां रहने वाले लोग किस तंगहाली के दौर से गुजर रहे होंगे। इस घर में रहने वाले लोग कभी मनचाही चीजें खरीद सकते थे और पसंदीदा खाना खा सकते थे, लेकिन अब हालात बिल्कुल अलग है। अब घर में रहने वाले लोग बस जरूरतें पूरी करने के लिए खरीददारी और खाना खाते हैं। दरअसल यह घर है स्व. सोम मरांडी का, जो कभी सांसद हुआ करते थे। राजमहल लोकसभा क्षेत्र के भूतपूर्व भाजपा सांसद दिवंगत सोम मरांडी का परिवार घोर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। पैसों के कमी की वजह से बच्चों की पढ़ाई रूक गयी है। हालात इतने खराब हो गये हैं कि खाने पीने की चीजें भी परिवार नहीं खरीद पा रहा। दरअसल दिवंगत सांसद की पत्नी को अब तक पेंशन मिलना शुरू नहीं हो पाया है। अचानक 23 मार्च 2022 को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। तब से इस परिवार की दशा ही उलट गयी। अब थोड़े बहुत बचे हुए पैसे और लोगों के सहारे ही जैसे - तैसे गुजारा हो रहा। बेटी अपनी ग्रेजुएशन पूरी करना चाह रही, लेकिन पैसों की वजह से पढ़ाई कर पायेंगी या नहीं, इसपर भी संशय बना हुआ है। 

लोकसभा ने मांगा सक्शेसन सर्टिफिकेट

पेंशन के लिए परिवार कई बार इधर उधर लोकसभा के दफ्तर और नेताओँ के दरवाजे की चक्कर काट चुका है। कुछ तकनीकि कारणों की वजह से पेंशन शुरू नहीं हो सके, लेकिन विगत दिनों लोकसभा की ओर से आयी एक चिट्ठी के अनुसार परिवार को सक्शेसन सर्टिफिकेट जमा करने होंगे। स्व. सोम मरांडी के 6 बेटी और एक बेटे है जो इन दिनों पूरी तरह पत्नी और कुछ शुभचिंतकों के सहारे है। यह भरा पूरा परिवार पेंशन के सहारे ही चल सकता था, लेकिन पत्नी को पेंशन नहीं मिल रही। 

बाबूलाल बने सहारा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी निजी तौर पर परिवार की आर्थिक मदद करता आया है। पेंशन के जरूरी काम में भी उन्होंने सहयोग देने का भरोसा दिया है। सोम मरांडी 1998 ई.मे पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े जिसमे उन्होंने 9 वोटो से जीत दर्ज कर राजमहल लोकसभा से भाजपा सांसद बन गए। उस वक्त अटल बिहारी बाजपेई देश के प्रधानमंत्री बने. लेकिन सरकार महज 13 महीने ही चली और सरकार गिर गई। उसके बाद सोम मरांडी पार्टी के लिए कार्य करते रहे। फिर बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में झारखंड विकास मोर्चा में चले गए। उसके बाद वह पुनः भाजपा में वापस लौटे थे।