गुरूजी शिबू सोरेन की जीवनी पढ़ेंगे झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चे

जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की कहानी झारखंड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल की जायेंगी। मंगलवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

गुरूजी शिबू सोरेन की जीवनी पढ़ेंगे झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चे
रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख दिशोम गुरू शिबू सोरेन सत्ता से आगे स्कूलों में पहुंचेंगे। झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता शिबू सोरेन की भूमिका बिहार से अलग करवाने में प्रमुख रही। शिबू सोरेन ने अपनी पूरी जिंदगी झारखंड की अस्मिता और इसके सांस्कृतिक पहलुओं के संरक्षण के लिए मुखर होकर अपनी बातों को रखा है। मंगलवार को हुई झारखंड कैबिनेट की बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी जिसमें से एक अहम् प्रस्ताव ये भी रहा की अब झारखंड के सरकारी स्कूलों में शिबू सोरेन के जीवन पर आधारित तीन पुस्तकों को पढ़ाया जायेगा। तीनों पुस्तकें प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई हैं और प्रभात खबर के प्रधान संपादक अनुज कुमार सिन्हा द्वारा यह किताब लिखी गई हैं। बच्चे ना सिर्फ झारखंड आंदोलन के नायक शिबू सोरेन के संघर्ष के बारे में जानेंगे, बल्कि आंदोलन के इतिहास से भी रूबरू होंगे।
किताबों के नाम
सुनो बच्चों, वीर आदिवासी योद्धा शिबू सोरेन (गुरुजी) की कहानी नामक पुस्तक राज्य सरकार के प्राथमिक विद्यालयों में रखी जायेगी। इस बीच, मध्य और उच्च विद्यालयों में वितरण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन और आदिवासी नायक शिबू सोरेन नामक किताबें खरीदी जाएंगी। तीनों पुस्तकें प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
झारखंड के 23 साल के इतिहास में शिबू सोरेन
झारखंड अपनी 23वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। विगत 22 वर्षों में राज्य में कई उतार-चढ़ाव देखे। पहले 14 साल तक झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता रही, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई। 2014 के बाद झारखंड में स्थिर सरकार बनने लगी। झारखंड आंदोलन हो या राज्य की राजनीति, इन दोनों में सबसे बड़ा नाम शिबू सोरेन का ही रहा है। दिशोम गुरु के जिक्र के बिना झारखंड की चर्चा कभी पूरी नहीं हो सकती है। शिबू सोरेन आदिवासियों के बड़े नेता माने जाते हैं। शिबू सोरेन ने पहले सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ अभियान चलाया, फिर झारखंड को अलग राज्य बनाने के लंबे संघर्ष में भी शामिल हुए। गुरूजी तीन बार मुख्यमंत्री बने और केन्द्र में  भी मंत्री बने। वे आज भी राज्यसभा के सदस्य हैं और मौजूदा झारखण्ड में राज्य के सरकार की गठित महागठबंधन के अध्यक्ष हैं। शिबू पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुए लेकिन हार मिली। 1980 में वे पहली बार लोक सभा चुनाव जीते। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते.10 अप्रैल 2002 से 2 जून 2002 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये. सन 2005 में झारखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात वे विवादस्पद तरीके से झारखंड के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण 13 दिनों के पश्चात ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।