27 प्रतिशत OBC आऱक्षण का बिल भी राजभवन से लौटा, विधि परामर्श का सुझाव

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड विधानसभा से पारित पदो एंव सेवाओं में रिक्तियों में झारखंड आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2022 को वापस लौटा दिया है। इस अधिनियम के तहत झारखंड में ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की की गयी थी।

27 प्रतिशत OBC आऱक्षण का बिल भी राजभवन से लौटा, विधि परामर्श का सुझाव

रांची

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड विधानसभा से पारित पदो एंव सेवाओं में रिक्तियों में झारखंड आरक्षण (संशोधन) अधिनियम-2022 को वापस लौटा दिया है। इस अधिनियम के तहत झारखंड में ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की की गयी थी। वंही अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (ST) के लिए 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत आरक्षण की गयी थी। इस बिल के जरिये राज्य सरकार ने नौकरियों में कुल आरक्षण की सीमा 77 प्रतिशत कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने सरकार को इसकी समीक्षा करने के सुझाव के साथ बिल को वापस लौटाया है। तात्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने इसे कानून राय के लिए अटॉर्नी जनरल के पास भेजा था, अटॉर्नी जनरल ने बिल को सुप्रिम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं बताया था।

 
खतियानी विधेयक हो चुकी है वापस

हेमंत सोरेन सरकार ने 11 नवंबर 2022 को एक दिन के विस्तारित सत्र बुलाकर सदन से ओबीसी आरक्षण और 1932 आधारित स्थानीय नीति निर्धारित करने संबंधित विधेयक पास कर राज्यपाल के स्वीकृति के लिए भेज दिया था। खतियान आधारित स्थानीय नीति को राज्यभवन पहले ही वापस कर चुकी है।