जमशेदपुर : बालीभूजोना किस्म का चावल सेहत के लिए फायदेमंद, संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए आजीविका भूमिका नामित

झारखंड (रांची में 27 अक्टूबर से 5 नवंबर 2023 तक महिला एशियाई चैम्पियन्स ट्रॉफी 2023 का आयोजन किया जा रहा है.

जमशेदपुर : बालीभूजोना किस्म का चावल सेहत के लिए फायदेमंद, संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए आजीविका भूमिका नामित
जमशेदपुर : बालीभूजोना किस्म का चावल सेहत के लिए फायदेमंद, संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए आजीविका भूमिका नामित
Jamshedpur : सेंटर फॉर वर्ल्ड सोलिडैरिटी (सीडब्लूएस) द्वारा समर्थित किसान उत्पादक संगठन आजीविका भूमिका को पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला में बोए जाने वाले स्वदेशी बालीभोजूना चावल के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रोत्साहन के लिए झारखंड फूड फेस्टिवल में नामित किया गया है. सेंटर फॉर वर्ल्ड सोलिडैरिटी (सीडब्लूएस) विगत कई वर्षों से स्वदेशी खाद्य के अनेक किस्मों के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के प्रति समर्पित रही है. इसी क्रम में साल 2019-20 के दौरान पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखंड में चुनिंदा किसानों द्वारा उगाई जाने वाली चावल के एक दुर्लभ किस्म की पहचान की गयी. चावल के इस किस्म की खेती घाटशिला प्रखंड के भादुआ पंचायत स्थित छोटा जमुना गांव में हो रही है. सीडब्लूएस की टीम को वहाँ के किसानों ने बताया कि बालीभुजोना किस्म का चावल खाने में अत्यंत स्वादिष्ट है और पौष्टिक भी. सीडब्लूएस की टीम ने इस किस्म की  खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया. इससे पहले बालीभोजूना चावल के सैंपल को भारतीय प्रोद्योगिक संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर स्थित ऐग्रिकल्चर एण्ड फूड इंजीनियरिंग डिपार्ट्मन्ट के अंतर्गत संचालित एनालिटिकल फूड टेस्टिंग प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया. 
प्रयोगशाली की रिपोर्ट में कैलोरी से भरपुर है ‘’बालीभूजोना "
7 जुलाई 2022 को इस सैंपल के रोचक परिणाम सामने आएं. जिसमें प्रति 100 ग्राम में 368 कैलरी सहित 1.97 ग्राम रेसा, 76.83 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.28 ग्राम प्रोटीन तथा 0.65 ग्राम वसा की पुष्टि हुई. इसके अतिरिक्त 100 ग्राम चावल में विटामिन बी ग्रुप के तकरीबन 3.03 मिलीग्राम थायमिन, 0.04 मिलीग्राम रिबोफ्लेविन तथा 9.3 मिलीग्राम नाइयासिन की भी मौजूदगी पायी गयी. इसके उपरांत बालीभोजूना चावल को क्षेत्र के अन्य किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए सीडब्लूएस ने किसान उत्पादक संगठन आजीविका भूमिका को तकनीकी सहयोग प्रदान करने का फैसला लिया गया. इस दिशा में सीडब्लूएस के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार और परिश्रम के मोर्चे पर काम किया गया. साथ ही, आईआईटी खड़गपुर के साथ साझेदारी कर उन्नत तकनीक और मशीनें भी विकसित की गयी जिसकी बदौलत चावल के इस पोषक किस्म की खेती को सरल एवं व्यावहारिक बनाया जा सके.